बप्पा जी की मूर्ति को गलत दिशा में रखना पूजा के फल को और भी ज्यादा कम करता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक बप्पा की मूर्ति को उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। दक्षिण दिशा में मूर्ति रखने से बचना चाहिए, क्योंकि ये अशुभ माना जाता है। सही दिशा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार तेजी से होता है।
टूटी या खंडित मूर्ति पूजन न करें :
गणेश चतुर्थी पर इस बात का खास तौर पर ध्यान दें कि टूटी या खंडित मूर्ति की पूजा करना अशुभ कहा जाता है। ऐसी मूर्ति नकारात्मक ऊर्जा को अपनी तरफ आकर्षित करती है। हमेशा सही आकार एवं सुंदर मूर्ति का चयन करें। पूजा से पूर्व मूर्ति की अच्छी तरह से जांच कर लें एवं सुनिश्चित करें कि वह मूर्ति पूरी तरह ठीक हो।
चन्द्रमा के दर्शन से बचना होता है जरुरी :
वास्तु शास्त्र का कहना है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखना प्रतिबंधित होता है, क्योंकि इसकी वजह से मिथ्या दोष लगता है। पौराणिक कथाओं में ये कहा गया है कि चंद्रमा ने गणेश जी का मजाक उड़ाया था, जिकी वजह से ये यह नियम बना। यदि गलती से चंद्रमा दिख जाए, तो 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जप करें।
न लगाए गलत प्रसाद का भोग :
बप्पा को तामसिक भोजन जैसे मांस, मछली या लहसुन-प्याज युक्त भोजन का भोग नहीं लगाना चाहिए। गणपति बप्पा को मोदक, लड्डू एवं फल बहुत ही पसंद हैं। तुलसी पत्र का इस्तेमाल भी न करें, क्योंकि ये बप्पा को नहीं चढ़ाया जाता। सात्विक भोग से पूजा का फल और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
साफ-सफाई का रखें खास ध्यान :
शयन कक्ष में भूलकर भी न रखें बप्पा की मूर्ति :
बप्पा की मूर्ति को शयनकक्ष में रखना वास्तु दोष उत्पन्न करने का काम करता है। इससे मानसिक तनाव और अशांति बढ़ सकती है। इतना ही नहीं मूर्ति की स्थापना पूजा घर, ड्रॉइंग रूम या मुख्य द्वार के पास करें। यह स्थान सकारात्मक ऊर्जा को और भी ज्यादा बढ़ता है एवं पूजा का शुभ फल देता है। शयनकक्ष में पूजा सामग्री रखने से बचना चाहिए।
गलत वक़्त पर न करें पूजा :
गणेश चतुर्थी पर पूजा और मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए। सुबह के वक़्त या पंचांग के मुताबिक निर्धारित समय सबसे उत्तम होता है। रात में मूर्ति स्थापना या पूजा करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ कहा जाता है। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से गणपति की कृपा और कार्यों में कामयाबी हासिल होगी।
सम्मान के साथ करना चाहिए विसर्जन :
गणेश चतुर्थी के पश्चात मूर्ति का विसर्जन सम्मानपूर्वक करना चाहिए। मूर्ति को गंदे पानी या कूड़ेदान में नही फेंकना चाहिए। इसे नदी या समुद्र में प्रवाहित करें या मंदिर में सौंप दें। विसर्जन के समय 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जप करें। सम्मानजनक विसर्जन से पूजा का पूरा फल मिल सकता है।