नई दिल्ली : पाक के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बाजौर जिले में पाकिस्तानी सेना ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ व्यापक ऑपरेशन सरबाकफ शुरू किया है। यह अभियान मुख्य रूप से लोई मामुंड और वार मामुंड तहसीलों में चल रहा है, जो पहले TTP का मजबूत गढ़ माने जाते थे। तालिबान कमांडरों के साथ शांति वार्ता विफल होने के पश्चात 27 क्षेत्रों में 12 से 72 घंटे का कर्फ्यू लागू किया गया है। इसके कारण करीब 55,000 लोग विस्थापित हुए हैं और 4 लाख से अधिक लोग अपने घरों में फंसे हैं।
अवामी नेशनल पार्टी के विधायक निसार बाज ने खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा में आरोप लगाया कि कर्फ्यू के कारण लोग सुरक्षित स्थानों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं और सेना अपने नागरिकों पर अत्याचार कर रही है। कई परिवार टेंटों, खुले मैदानों और सार्वजनिक भवनों में रात गुजारने को मजबूर हैं। यातायात साधनों की कमी और भोजन-पानी की किल्लत ने स्थिति को और बदतर कर दिया है।
अधिकारियों के अनुसार, प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार मुबारक खान जैब ने बताया कि स्कूलों को अस्थायी शरणस्थल बनाया गया है। जिला प्रशासन ने खार तहसील में 107 शैक्षणिक संस्थानों को राहत शिविर के रूप में नामित किया है। हालांकि, जमीनी रिपोर्ट्स के मुताबिक, राहत सामग्री और आश्रय की व्यवस्था अपर्याप्त है।
यह अभियान 29 जुलाई को शुरू हुआ था, लेकिन अगले दिन जनजातीय जिरगा की मध्यस्थता के कारण इसे अस्थायी रूप से रोक दिया गया। कई दौर की वार्ता के बाद 2 अगस्त को बातचीत असफल रही, जिसके बाद सेना ने ऑपरेशन फिर से शुरू कर दिया।
बाजौर जिला लंबे समय से TTP का गढ़ रहा है। पाकिस्तानी सेना ने पहले भी यहां कई ऑपरेशन किए, जिनमें हजारों लोग विस्थापित हुए। इस बार के अभियान में भी सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ की खबरें हैं। हालांकि, सेना पर नागरिकों के खिलाफ अत्याचार और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप गंभीर सवाल उठा रहे हैं।