नेपाल में स्टूडेंट्स के हिंसक प्रदर्शन के 24 घंटे के भीतर पीएम केपी शर्मा ओली ने भी इस्तीफा दे दिया है। सभी मंत्रियों ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह प्रयास उग्र हो चुके आंदोलन को शांत करने के लिए किया है। टीवी पर प्रसारित वीडियो में बताया गया है कि नेपाल के वित्त मंत्री को प्रदर्शनकारियों ने दौड़ा-दौड़ाकर मारा। उन्हें लात मारी गई। हेलिकॉप्टर से कई वरिष्ठ मंत्रियों को घर से भी निकाल दिया है। प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति के निजी घरों को निशाना भी बना लिया है। दोपहर ढाई बजे के पास नेपाल की संसद को भी युवाओं की उग्र भीड़ ने पूरी तरह से फूंक डाला है। कम्युनिस्ट पार्टी के दफ्तर को भी तोड़ दिया एवं झंडा फाड़ दिया गया। इस वक़्त नेपाल में घनघोर अशांति है। विश्वभर के लोगों के मन में प्रश्न है कि मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश के पश्चात अब भारत के पड़ोसी नेपाल में ये क्या हो रहा है? पढ़ने वाले लड़के और लड़कियों का लीडर कौन है जिसने नेपाल सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर डाला। थोड़ा सर्च करने पर 'हामी नेपाल' NGO का नाम भी सामने आता है। इनका अगुआ महज 36 वर्ष का है और वह 10 वर्ष से इस NGO को चला रहा है।
हैरान करने वाली बात तो ये है कि इस प्रोटेस्ट में युवाओं के कई संगठन शामिल हैं लेकिन सबसे अधिक चर्चा जिस लड़के की की जा रही है, वो एक इन्फ्लुएंसर है। महीन बाल, हल्की दाढ़ी और अक्सर काले चश्मे में दिखने वाले इस युवा का नाम है- सुदन गुरुंग। इनके इंस्टाग्राम पेज पर जाने वाले है तो फिल्मी अधिक वाला स्वैग दिखाने वाला है। प्रोफाइल में इन्होंने खुद को नेपाली/एंडवेंचरर/ट्रवेलर/डीजे/एंटरप्रेनर लिखा है लेकिन असल में यह विश्वभर से फंड जुटाने का काम करते हैं। हामी नेपाल के संस्थापक सुदन गुरुंग ही हैं।
इन्फ्लुएंसर ने जुटाया जन समर्थन :
खबरों का कहना है कि IIT भुवनेश्वर में नेपाली छात्रा की जान जाने से लेकर कोरोना महामारी, भूकंप, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखने के साथ-साथ यह नेताओं और सेना के अधिकारियों से भी बहुत मिलते जुलते रहते थे। नेपाल में ट्रवेल एजेंसी के काले कारनामे का खुलासा हो या कोई दूसरा ज्वलंत मामला, हामी नेपाल ने धीरे-धीरे देश के लोगों के दिलों में अपना खास स्थान बनाया है।
आखिर कहा से आता था फंड :
खबरों की माने तो एक पोस्ट में गुरुंग के तस्वीरों के साथ उनके बारे में विस्तार से लिखा गया है। इसमें जानकारी दी है कि सुदन गुरुंग एक समर्पित परोपकारी हैं, जो लोगों की सहायता करते हैं। उन्होंने बीते 10 सालों के बीच आपदा राहत, सामाजिक सेवाएं और आपातकालीन सहायता प्रदान करने वाली एक गैर-लाभकारी संस्था हामी नेपाल के जरिए से संसाधन भी जुटा लिए है। वह विश्वभर के देशों से जुटाए गए फंड को एक साथ संभालते है, दान जुटाने के साथ उसे बाढ़, भूस्खलन और भूकंप से प्रभावित लोगों में बांट देते है। अब आप सोचिए, जो शख्स विस्थापित परिवारों को 10 वर्ष से भोजन, कपड़े, कंबल और दवाइयां बांटता दिखा हो उसके साथ जनता का सपोर्ट किस कदर होना चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो आप इनका सोशल मीडिया पोस्ट खंगालेंगे तो पता चलता है कि IIT भुवनेश्वर में नेपाली छात्रा की मृत्यु से लेकर कोरोना महामारी, भूकंप, भ्रष्टाचार जैसे मामलों पर अपने विचार रखने के साथ-साथ यह नेताओं और सेना के अधिकारियों से भी बहुत मिलते जुलते रहते थे। नेपाल में ट्रवेल एजेंसी के काले कारनामे का खुलासा हो या कोई दूसरा ज्वलंत मुद्दा, हामी नेपाल ने धीरे-धीरे देश के लोगों के दिलों में में अपना स्थान बना लिया।