आखिर क्यों बिहार चुनाव से पूर्व पीएम मोदी याद करा रहे लालू-राबड़ी का जंगलराज, क्या है पूरी कहानी

लक्ष्मणपुर-बाथे नरसंहार बिहार के इतिहास की सबसे क्रूर कहानी मानी जाती है, जिसमे बच्चों गर्भवती महिलाओं एवं बुजुर्गों तक का क़त्ल कर दिया गया था, वर्ष 1997 में हुआ ये कांड रणवीर सेना से जुड़ा हुआ बताया जाता है, लेकिन सबूतों के अभाव में 2013 में सभी अपराधियों को बरी कर दिया गया।

आखिर क्यों बिहार चुनाव से पूर्व पीएम मोदी याद करा रहे लालू-राबड़ी का जंगलराज, क्या है पूरी कहानी

बिहार चुनाव से पहले पीएम मोदी ने लोगों को याद दिलाया लालू-राबड़ी की सरकार का जंगलराज

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Highlights

  • लक्ष्मणपुर-बाथे बिहार के इतिहास का सबसे बड़ा हत्याकांड कहा जाता है।
  • लक्ष्मणपुर-बाथे में 58 से अधिक लोगों को लालू-राबड़ी की सरकार के समय बेरहमी से मार दिया गया।
  • हत्या कांड का सबूत न मिलने पर पटना हाई कोर्ट ने आरोपियों को कर दिया था बरी।

पटना : बिहार चुनाव प्रचार 2025 में पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित NDA के तमाम बड़े नेता RJD चीफ लालू प्रसाद यादव एवं राबड़ी देवी की सरकारों के जंगलराज की याद दिलाते हुए दिखाई दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी याद करा रहे हैं कि लालू-राबड़ी की सरकारों में बिहार ने एक से बढ़कर एक नरसंहार की क्रूर वारदातें देखी।

दोनों बड़े नेता तमाम रैलियों कई तरह के वादे और अपील की है कि वोटिंग में एक गलती बिहार को 20 वर्ष पीछे धकेल सकती है। NDA नेताओं के भाषणों में कहा जा रहा है कि नई पहचान के साथ जंगलराज वाले एक बार फिर से सत्ता में आना चाह रहे है, इसलिए वे बिहार के वोटरों को सावधान कर रहे है। ऐसे में हम आपको लालू प्रसाद यादव एवं राबड़ी देवी की सरकारों में हुए बड़े नरसंहारों के दौर की याद दिला रहे है। सीरीज की पहली स्टोरी में हम आपको लक्ष्मणपुर-बाथे नरसंहार के बारें में भी वार्तालाप कर रहे है।

लक्ष्मणपुर-बाथे नरसंहार बिहार के सबसे बड़ा एवं नृशंस कहा जा रहा है। इतना ही नहीं इस नरसंहार का दंश झेल चुके परिवारों के लोग आज भी उस पल को भी याद करते हुए सिहर जाते हैं। इसमें बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं तक को अपना शिकार बनाया। वहीं लक्ष्मणपुर-बाथे नरसंहार में कई परिवारों को अनाथ कर दिया। वे वारदातें इतनी भयानक थी कि कई परिवारों में तो उनके घर को संभालने के लिए एक भी महिला तक शेष नहीं थी। वहीं कुछ परिवारों में तो केवल बच्चे ही शेष जीवित बचे हुए थे।  इस नरसंहार में तीन वर्ष के से लेकर 65 वर्ष के  बुज़ुर्ग तक को मौत के घाट उतार दिया था।

इस नरसंहार के पश्चात पता चला था कि लक्ष्मणपुर बाथे के रहने वाले विमलेश राजवंशी को छोड़कर उनके परिवार में सभी का कत्ल कर दिया गया था। कातिलों ने सभी 5 लोगों को मौत के घाट उतारा था। मरने वालों में उनके पिता, दो भाई और दोनों भाभियां शामिल रहीं।

ऐसे ही दुखिया देवी नाम की महिला के पति और 2 बेटों का भी बेहरहमी से कत्ल कर दिया गया था। सहनी यानी मछुआरा जाति से आने वाला यह परिवार सोन नदी में मछली मारने के पश्चात लौट रहे थे तभी रास्ते में ही उनका कत्ल कर दिया गया। इस परिवार का गला रेत दिया गया था। इसी तरह लक्ष्मणपुर बाथे में कई एवं परिवार रहे जिनका सबकुछ उजड़ गया।

लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार का आखिर कौन है दोषी ? 

इल्जाम है कि भूमिहार जाति के लोगों की रणवीर सेना ने लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार को अंजाम दे दिया था। पटना की एक विशेष अदालत ने 7 अप्रैल, 2010 को 16 दोषियों को फांसी और 10 को उम्र कैद की सजा तक सुना दी गई थी । पटना हाई कोर्ट में जब ये मामला पहुंचा और इसपर निर्णय आया तो हर एक व्यक्ति हैरान रह गया। सबूतों के अभाव में पटना हाइकोर्ट ने 9 अक्टूबर 2013 के फैसले में सभी दोषियों को बरी कर दिया गया। इसके पश्चात यह आज तक प्रश्न बना हुआ है कि आखिर लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार को आखिर किसने अंजाम दिया।

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