रांची : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने दो दिनों के भीतर ही अपना रुख पलटते हुए बड़ा फैसलाले लिया है। जहां बीते शुक्रवार यानि17 अक्टूबर 2025 को पार्टी ने महागठबंधन से अलग होकर छह सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, वहीं रविवार को अपने निर्णय को बदलते हुए चुनाव मैदान से पूरी तरह हटने का एलान कर दिया है।
झामुमो के केंद्रीय महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने रविवार को बयान जारी कर ये भी कहा है कि पार्टी अब बिहार विधानसभा चुनाव में कोई उम्मीदवार नहीं उतारने वाली। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि झामुमो को महागठबंधन के प्रमुख घटक दलों ने अंतिम समय तक भ्रमित किया और अंधेरे में रखा। इस व्यवहार के मद्देनजर पार्टी अब झारखंड में महागठबंधन की समीक्षा करेगी, जिसका अंतिम निर्णय झामुमो अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा लिया जाने वाला है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 18 अक्टूबर को रांची में आयोजित प्रेस वार्ता में झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने जमुई, चकाई, धमदाहा, मनिहारी, पीरपैंती और कटोरिया सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर दिया था। उस वक्त उन्होंने कांग्रेस और RJD पर गंभीर इल्जाम लगाते हुए कहा था कि इन दलों ने झारखंड में JMM को सम्मान दिया था, लेकिन बिहार में उसके कार्यकर्ताओं के आत्मसम्मान के साथ समझौता किया गया।
भट्टाचार्य ने साफ तौर पर कहा था कि पार्टी बार-बार का धोखा बर्दाश्त नहीं करेगी और बिहार चुनाव के बाद झारखंड में गठबंधन की समीक्षा करेगी।
हालांकि, अब जेएमएम के चुनाव से हटने के निर्णय से महागठबंधन में राहत का माहौल है। राजद नेता तेजस्वी यादव के लिए यह निर्णय सुकूनदायक माना जा रहा है, क्योंकि अब सीटों के बंटवारे में कोई अड़चन नहीं रहेगी।
रिपोर्ट्स के अनुसार हेमंत सोरेन झारखंड की राजनीति और कानूनी चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। बिहार चुनाव में उतरने से संभावित राजनीतिक संदेश को देखते हुए उन्होंने फिलहाल 'रिव्यू पॉलिसी' अपनाने का फैसला किया है।