
इंडियन मूवी इंडस्ट्री, जिसे आमतौर पर हम बॉलीवुड के नाम से जानते है, ये दुनिया की सबसे बड़ी मूवी इंडस्ट्री कही जाती है, जहाँ हर साल हजारों फिल्में बनती हैं और लाखों लोग इसकी चकाचौंध में अपना करियर बनाने के लिए दिन रात मेहनत करते है और कई तरह के सपने देखते है। लेकिन इस रंगीन दुनिया के पीछे कई स्याह पहलू भी छिपे हुए हैं। इनमें से एक है — कलाकारों को बैन या बहिष्कृत कर देना। बॉलीवुड में बैन का मतलब किसी कलाकार को मूवी इंडस्ट्री से पूरी तरह से बैन कर देना, उस कलाकार को किसी भी तरह की फिल्मों में काम नहीं मिलता इतना ही नहीं कोई भी डायरेक्टर उसके साथ काम नहीं करना चाहता है, कई बार तो ऐसा भी होता है कि मीडिया से भी उसे दूर रखा जाता है। यह बैन कभी औपचारिक होता है, लेकिन अधिकतर बार अनौपचारिक और परदे के पीछे होता है।
कानूनी बनाम अनौपचारिक बैन बॉलीवुड में "बैन" कोई आधिकारिक या कानूनी प्रक्रिया नहीं की जाती। यह अधिकतर एक अनौपचारिक सामूहिक निर्णय भी किया जाता है, जिसे निर्माता, निर्देशक या प्रोडक्शन हाउस मिलकर लेते हैं। यह निर्णय किसी कलाकार के व्यवहार, विवादों, या इंडस्ट्री के दबावों के आधार पर लिया जाता है। कई बार किसी कलाकार को मीडिया और सोशल नेटवर्क्स में बदनाम करने के पश्चात काम से निकाल दिया जाता है। कभी-कभी फ़िल्म यूनियन या प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन भी किसी को नोटिस देकर प्रतिबंधित कर देते है, लेकिन अधिकांश मामले अनौपचारिक ही होते हैं — जिसे “साइलेंट बैन” भी कहा जाता है।
2. किन कलाकारों को किया गया बैन और क्यों?
शाइनी आहूजा एक उभरते हुए कलाकार थे, जिन्होंने हजारों ख्वाहिशें ऐसी और गैंगस्टर जैसी मूवीज में अपनी खास पहचान बनाई थी। लेकिन वर्ष 2009 में उन पर उनकी नौकरानी से बलात्कार का इल्जाम लगाया गया था। यह मामला बहुत विवादास्पद रहा और कोर्ट में चले मुकदमे के बाद उन्हें दोषी पाया गया। इस घटना के पश्चात इंडस्ट्री ने लगभग पूरी तरह से उनका बहिष्कार किया। उन्हें शायद ही किसी बड़े प्रोजेक्ट में दोबारा मौका मिला। उन्होंने कुछ मूवीज कीं जैसे घोस्ट लेकिन कोई खास सफलता हासिल नहीं हो पाई।
विवेक ओबेरॉय का करियर संजय लीला भंसाली की साथिया और राम गोपाल वर्मा की कंपनी जैसी फिल्मों से उड़ान भरता हुआ दिखाई दे रहा था। लेकिन जब उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सलमान ख़ान पर ऐश्वर्या राय को परेशान करने के इल्जाम भी लगाए गए, तो उन्होंने पूरे इंडस्ट्री को हैरान कर दिया। विवेक के इस कदम को बॉलीवुड में 'अंदरूनी राजनीति' के खिलाफ बगावत माना गया। सलमान खान का स्टारडम और उनके संबंधों के चलते विवेक को धीरे-धीरे काम मिलना बंद हो गया। उन्हें इंडस्ट्री ने 'गैर जिम्मेदार' करार दे दिया और उनका करियर लगभग ठप हो गया।
कंगना ने बॉलीवुड में नेपोटिज़्म, भाई-भतीजावाद और 'मूवी माफिया' के विरुद्ध खुलकर अपनी बात को सबके सामने रखी। करण जौहर को "नेपोटिज़्म का ध्वजवाहक" कहना, ऋतिक रोशन के साथ निजी विवाद, और कई बयानों के चलते वह विवादों और चर्चाओं का विषय रहीं। उनके खुलासों और तीखे बयानों की वजह से कई बड़े प्रोड्यूसर, स्टूडियो और अभिनेता उनसे दूरी बनाने में लग गए। कंगना ने इल्जाम लगाया कि उन्हें काम देने से इंकार कर दिया गया, फिल्में ठुकरा दी गईं, और उन्हें एक 'गैर-व्यवहारिक' एक्ट्रेस के तौर पर चित्रित किया गया।
केआरके (कमाल आर खान) अपने विवादास्पद बयानों और ट्विटर पर फिल्मी हस्तियों को ट्रोल करने के लिए चर्चा का विषय बने रहते है। उन्होंने कई बड़े स्टार्स जैसे सलमान, आमिर, और अक्षय कुमार की मूवीज की खुलेआम बुराई की। वर्ष 2021 में सलमान खान की ओर से उनके विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दर्ज किया गया। इसके पश्चात उन्हें कई इवेंट्स और मूवी प्रीमियर से बैन किया गया। उनका सोशल मीडिया अकाउंट भी कई बार सस्पेंड हुआ।
#MeToo मूवमेंट के समय अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने उन पर यौन उत्पीड़न का इल्जाम लगाया था। यह इल्जाम वर्ष 2008 की एक मूवी की शूटिंग से जुड़ा था। आरोपों के पश्चात नाना पाटेकर को मूवी हाउसफुल 4 से निकाल दिया गया और इंडस्ट्री में उन्हें लगभग सस्पेंड कर दिया गया। रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ कि कानूनी तौर पर उन्हें क्लीन चिट मिल गई, लेकिन उनकी छवि पर इसका गहरा असर पड़ा।
'किरण विवाद' मनोज कुमार और शाहरुख खान के मध्य हुए एक छोटे विवाद को भी कभी-कभी बैन के संदर्भ में भी गिना जाता है। शाहरुख की मूवी ओम शांति ओम में एक दृश्य में मनोज कुमार का मज़ाक उड़ाया गया था, जिससे वे नाराज़ हुए और कानूनी कार्रवाई तक की धमकी दे डाली।
3.1 इंडस्ट्री पॉलिटिक्स: बॉलीवुड में लॉबी और गुटबाज़ी लंबे वक़्त से सुनने और देखने के लिए मिल रही है। करण जौहर, यशराज फिल्म्स, सलमान–शाहरुख–आमिर जैसे स्टार्स की अपनी-अपनी लॉबी है, और इनमें से किसी के विरुद्ध बोलने या उनके दुश्मनों से जुड़ने पर कलाकारों को बहिष्कार झेलना पड़ जाता है।
3.2 सामाजिक-राजनीतिक विचारधारा: जो कलाकार सरकार या किसी धर्म/विचारधारा के विरुद्ध बोलते हैं, उन्हें भी बहिष्कार का भी सामना करना पड़ जाता है। कई बार सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग, बॉयकॉट ट्रेंड्स, और राष्ट्रवादी भावनाएं भी इसकी वजह बन जाती है।
3.3 नैतिक/कानूनी विवाद: अधिकांश यही सोचने में आता है की बॉलीवुड जैसी फिल्म इंडस्ट्री में क़ानूनी विवाद आखिर कैसे होते है, और यदि ये विवाद हुआ भी है तो किस एक्टर के साथ, क्या किसी एक्टर ने इंडस्ट्री में आने के बाद किसी तरह के नियम एवं कानून का उल्लंघन किया है, इस वजह से विवाद ने जन्म लिया. नहीं ऐसा नहीं है दरअसल ऐसा इस वजह से होता है क्यूंकि कुछ कलाकार जैसे शाइनी आहूजा, नाना पाटेकर, या केआरके पर कई आरोप लगाए गए है जिसमे नैतिकता का उल्लंघन हुआ है जिसकी वजह से इंडस्ट्री ने इन लोगों से दूरी बना ली है।
4. बैन और नेपोटिज्म: खबरों का कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के पश्चात बॉलीवुड में 'इनसाइडर बनाम आउटसाइडर' की बहस और भी ज्यादा बढ़ गई। कई लोगों ने आरोप लगाया कि बड़े प्रोडक्शन हाउस केवल स्टार किड्स को कई तरह से अवसर प्रदान किए जाते है, और बाहर से आने वाले टैलेंट को बैन कर देते हैं, या अवसर नहीं देते। इतना ही नहीं सुशांत, विवेक ओबेरॉय, या कंगना जैसे कलाकारों के उदाहरण इस बहस को हवा देते हैं।
5. क्या बैन करना सही है?: बैन करने वाले मामले पर इंडस्ट्री की कई बार निंदा की गई है। अब ये प्रश्न उठता है कि क्या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश है? क्या यह न्याय के बिना सजा देने जैसा है? लेकिन कुछ मामलों में जैसे यौन शोषण या आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों को काम न देना समझ में आता है, लेकिन जब किसी को सिर्फ़ बोलने के लिए, या किसी लॉबी के खिलाफ जाने के लिए बहिष्कृत किया जाता है, तो यह एक लोकतांत्रिक कला जगत के लिए सही नहीं माना जा सकता।
बॉलीवुड में बैन एक सामाजिक, राजनीतिक और भावनात्मक प्रक्रिया बन चुका है। इसमें लॉबी, विचारधारा, नैतिकता, और व्यावसायिक हित सब शामिल होते हैं। यह जरूरी है कि इंडस्ट्री अपने अंदर पारदर्शिता और न्याय की भावना विकसित करे, ताकि टैलेंट को सम्मान मिले — ना कि गुटबाज़ी और दबाव के कारण किसी को करियर से हाथ धोना पड़े।