
केरल को आज भगवान की भूमि के रूप में पहचान जाता है, भारत के दक्षिण भाग यानी (South) में बसा हुआ एक बड़ा राज्य है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत और विविध वन्यजीवों के लिए लोगों के बीच चर्चाओं का विषय बना हुआ रहता है। केरल पर्यटन एक ऐसा अनुभव है जो आपको प्राकृतिक सौंदर्य, रोमांच और शांति का मिश्रण प्रदान करता है।
केरल की प्राकृतिक सुंदरता इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। राज्य में पश्चिमी घाट की पहाड़ियाँ, बैकवाटर, झीलें और समुद्र तट हैं जो पर्यटकों और आमजन को अपना दीवाना बना लेती है। केरल में ताड़ के पेड़ों से घिरे बैकवाटर, अरब सागर के किनारे शांत समुद्र तट, हरे-भरे हिल स्टेशन और शांत चाय और मसाले के बड़े बड़े बागीचे है। राज्य की प्रचुर प्राकृतिक सुंदरता नौका विहार, हाउसबोट क्रूज और राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में वन्यजीव अन्वेषण जैसी गतिविधियों के एक नहीं कई खास मौके प्रदान करती है।
केरल के बैकवाटर, नहरें, नदियाँ लोगों को अपनी खूबसूरती की तरफ खींचती है। शांत और सुंदर बैकवाटर का अनुभव एक आरामदायक हाउसबोट क्रूज के जरिए भी किया जा सकता है, जिससे आगंतुकों को शांति में डूबने और जलमार्गों के साथ ग्रामीण जीवन शैली को देखने का खास अवसर मिलता है।
पश्चिमी घाट को इंटरनेशनल लेवल पर जैव विविधता के संरक्षण के लिए अत्यधिक वैश्विक महत्व के इलाके के रूप में मान्यता प्राप्त है, इसके साथ साथ इसमें उच्च भूवैज्ञानिक, सांस्कृतिक और सौंदर्य मूल्यों वाले क्षेत्र भी शामिल हैं। इंडिया के पश्चिमी तट के समानांतर चलने वाली पर्वत श्रृंखला, लगभग 30-50 किमी अंतर्देशीय, घाट केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों से होकर जाती है। ये पर्वत 1,600 किमी लंबे खंड में लगभग 140,000 वर्ग किमी के इलाके को कवर करते हैं, जो केवल 11 डिग्री उत्तर में 30 किमी लंबे पालघाट गैप द्वारा बाधित है।
केरल की तटरेखा 600 कि.मी. से अधिक लंबी है और इसमें प्राचीन समुद्र तट हैं। कुछ लोकप्रिय समुद्र तट स्थलों में कोवलम, वर्कला और मारारी बीच मौजूद है। ये समुद्र तट विश्राम, जल क्रीड़ा और मनमोहक सूर्यास्त को खूबसूरती से दर्शाता है, इस जगह पर जो भी एक बार आता है वह उसका दीवाना हो जाता है।
केरल की सांस्कृतिक विरासत छोटी नहीं बल्कि बहुत ही बड़ी है। राज्य में विभिन्न प्रकार के त्योहार, नृत्य और संगीत हैं जो यहाँ की संस्कृति को और भी रंगीन बनाते हैं। राज्य की जीवंत संस्कृति और प्राकृतिक वैभव ने इस विचार को नया रूप देता है कि केरल एक धन्य भूमि है, जिसके कारण इसे "ईश्वर का अपना देश" उपनाम भी दिया गया है।
कथकली एक पारंपरिक नृत्य है जो केरल की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें अभिनेता विभिन्न पात्रों की भूमिका निभाते हैं और अपनी अदाकारी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
केरल में विभिन्न प्रकार के त्योहार सेलिब्रेट किए जाते हैं जो इसकी संस्कृति को और भी रंगीन बनाते हैं। ओणम, विशु और थिरुवल्लुवर दिवस कुछ प्रमुख त्योहार हैं।
केरल अपने पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचारों और स्वास्थ्य केंद्रों के लिए भी पहचाना जाता है। आयुर्वेद, 5,000 वर्ष पुरानी समग्र चिकित्सा प्रणाली है, जो चिकित्सा, मालिश और कायाकल्प इलाज प्रदान करती है। कई पर्यटक आयुर्वेदिक इलाज योग रिट्रीट और ध्यान सत्रों का आनंद लेने के लिए केरल आना पसंद करते है।