आसान नही था नीना गुप्ता के लिए सिंगल मदर और एक्ट्रेस होना…!

बॉलीवुड में अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों पर राज करने वाली नीना का शुरूआती करियर परेशानियों से भरा था, क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स के साथ अफेयर, घर से परिवार ने किया बाहर नीना गुप्ता ने झेली की यातनाएं।

आसान नही था नीना गुप्ता के लिए सिंगल मदर और एक्ट्रेस होना…!

एक्ट्रेस और सिंगल पैरेंट बन नीना ने कायम की मिसाल

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Highlights

  • विवादों में रहा नीना गुप्ता का नाम।
  • नीना गुप्ता का करियर।
  • सिंगल मदर होकर बनी नीना गुप्ता ने अलग पहचान।

बॉलीवुड की दुनिया में कई कलाकार भी मौजूद है, जिन्होंने अपने टैलेंट और मेहनत के दम पर अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की। ऐसी ही एक शख्सियत हैं नीना गुप्ता, जिन्होंने न केवल अपने अभिनय कौशल से बल्कि अपनी ज़िन्दगी के संघर्षों से भी लोगों को प्रेरित किया है। नीना गुप्ता की कहानी साहस, आत्मनिर्भरता और समाज की रूढ़ियों को तोड़ने की मिसाल है।

नीना गुप्ता के करियर की शुरुआत:

बॉलीवुड अभिनेत्री नीना गुप्ता का जन्म 4 जून वर्ष 1959 को दिल्ली में हुआ था। उनकी पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध सेंट स्टीफंस कॉलेज से हुई, जहां उन्होंने संस्कृत विषय में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। एक्टिंग के प्रति उनकी रुचि बचपन से ही थी, जिसके चलते उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) में एड्मिशन लिया। वहाँ से उन्होंने अभिनय की बारीकियों को सीखा और थिएटर में अपने करियर की शुरुआत की।

वर्ष 1980 के दशक में, जब बॉलीवुड में अभिनेत्रियों को मुख्यतः ग्लैमर से जोड़ा जाता था, उस वक़्त नीना गुप्ता ने अपनी पहचान एक गंभीर अभिनेत्री के रूप में बनाई। उनकी पहली कुछ मूवीज जैसे- जाने भी दो यारों (1983), मंडी (1983), और त्रिकाल (1985) थीं। इन फिल्मों में उनके अभिनय को सराहा गया, लेकिन उन्हें मुख्यधारा की फिल्मों में बड़े रोल नहीं मिल पाए।

वैसे तो हमेशा से ही नीना गुप्ता की लाइफ चर्चा का विषय बनी रही है, खासकर उनकी पर्सनल लाइफ, 1980 के दशक के अंत में उनका नाम प्रसिद्ध वेस्ट इंडियन क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स के साथ जुड़ गया था। इस रिश्ते से उनकी बेटी मसाबा गुप्ता का जन्म हुआ। लेकिन विवियन रिचर्ड्स पहले से शादीशुदा थे और नीना गुप्ता ने सिंगल मदर बनने का कठिन निर्णय लेना पड़ा।

सिंगल मदर होना किसी चुनौती से कम नहीं:

उस समय, जब  में बिना विवाह के माँ बनना एक बड़ा कलंक माना जाता था, नीना गुप्ता ने न केवल इस चुनौती को स्वीकार किया बल्कि अपनी बेटी को खुद पालने का निणर्य भी किया। उन्होंने कभी किसी से सहायता नहीं मांगी और अपने दम पर मसाबा को पाल पोसकर बड़ा किया। यह निर्णय उनके करियर पर भी प्रभाव डाल सकता था, लेकिन उन्होंने अपने आत्मविश्वास और मेहनत से हर चुनौती का सामना किया।

वर्ष 1990 में जब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उनकी भूमिकाएँ सीमित होने लग गई , तो उन्होंने टेलीविजन की ओर रुख करने का फैसला कर लिया। उन्होंने सांस, सिस्की, और सात फेरे जैसे टीवी शोज़ में अहम् किरदार अदा किए, जिससे उन्हें नई पहचान मिली। लेकिन यह दौर उनके लिए आसान नहीं रहा। कई बार उन्हें आर्थिक परेशानियों से भी जूझना पड़ा और काम की तलाश में संघर्ष करना पड़ा।

करियर को ऐसे मिली नई उड़ान:

 वर्ष 2018 में, नीना गुप्ता ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की जिसमें उन्होंने लिखते हुए कहा था कि, "मैं मुंबई में रहती हूँ, एक अच्छी एक्ट्रेस हूँ और काम की तलाश में हूँ।" उनकी इस ईमानदार अपील ने फिल्म इंडस्ट्री को झकझोर दिया। इसी के बाद उन्हें फिल्म बधाई हो (2018) में मुख्य भूमिका अदा करने का मौका मिला, इस मूवी में उन्होंने अभिनेता आयुष्मान की माँ का किरदार निभाया था, इतना ही नहीं इस फिल्म की सक्सेस के बाद ही उनके करियर को एक नई दिशा मिली थी और उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला।

इसके पश्चात उन्होंने वर्ष 2020 में रिलीज़ की गई शुभ मंगल ज्यादा सावधान, वर्ष 2021 में सरदार का ग्रैंडसन, और वर्ष 2022 में गुडबाय  जैसी कई मूवीज में अपने अभिनय से लोगों का दिल जीता। उनके मेहनत ने यह साबित कर दिया कि उम्र केवल एक संख्या है और प्रतिभा कभी पुरानी नहीं होती।

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