भूतिया होने के बाद भी लोगों के बीच मशहूर है कुलधरा

कुलधरा का इतिहास बेहद पुराना और हैरान कर देने वाला है। यह गाँव राजस्थान के जैसलमेर जिले में बसा हुआ है, और इसका इतिहास 13वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है एवं इस गांव से जुड़े कई मिथक और रहस्य है।

भूतिया होने के बाद भी लोगों के बीच मशहूर है कुलधरा

आज से नहीं बल्कि कई सालों से सुनसान पड़ा है कुलधरा

Share:

Highlights

  • कुलधरा का इतिहास।
  • ​रातों रात पूरा गांव छोड़ गए कुलधरा के ब्राह्मण।
  • जैसलमेर के कुलधरा गांव में शाम के समय जाना है वर्जित।

कुलधरा की स्थापना 13वीं शताब्दी में की गई थी, उस समय यहां पालीवाल ब्राह्मणों का निवास था। पालीवाल ब्राह्मण एक समृद्ध और शिक्षित समुदाय था, जो अपने बिज़नेस और कृषि कौशल के लिए पहचाना जाता था। उन्होंने कुलधरा को एक समृद्ध और सुंदर गाँव बनाने के लिए अपनी जान झोंक दी, जिसमें कई भव्य घर, मंदिर और अन्य संरचनाएँ थीं।

गाँव की समृद्धि:

कुलधरा की समृद्धि की अहम् वजह थी इसका व्यापारिक महत्व। गाँव के निवासी व्यापारियों के रूप में प्रसिद्ध थे, और वे अपने व्यापार के जरिए बहुत पैसा कमाया करते थे। गाँव में कई व्यापारिक केंद्र थे, जहाँ से वे अपने उत्पादों का बिज़नेस किया करते थे। इसके साथ साथ, गाँव के निवासी कृषि में भी बहुत कुशल थे, और वे अपने खेतों में विभिन्न फसलें उगाने का काम किया करते थे।

गाँव का पतन:

लेकिन कुलधरा की समृद्धि ज्यादा दिनों तक नहीं रह पाई। 19वीं शताब्दी की शुरुआत में, गाँव के निवासियों ने एक अजीब और अनजान वजह से अपना गाँव छोड़ना शुरू कर दिया। यह वजह क्या थी, इसके बारे में आज तक कोई जान नहीं पाया। कुछ लोगों का बोलना है कि गाँव के निवासियों ने दीवान सलावत खान के उत्पीड़न से बचने के लिए गाँव छोड़ दिया था। दीवान सलावत खान जैसलमेर के एक शक्तिशाली अधिकारी थे, जो अपने अत्याचारों के लिए जाने जाते थे।

क्यों है डरावना?:

कुलधरा के बारे में कई कहानियाँ और किंवदंतियाँ हैं जो इसे डरावना बना देती है। लोगों का इस बारें में कहना है कि इस गाँव में भूत-प्रेत रहते हैं, और यहाँ जाने वाले लोगों को कई अजीब अनुभव हुए है। इसके बाद भी, कुलधरा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन चुका है, जहाँ लोग इसके रहस्यमय और डरावने वातावरण का अनुभव करने के लिए जाते हैं। लोग यहाँ की खंडहर इमारतों, सड़कों और वातावरण को देखने की इच्छा रखते है।

गाँव का परित्याग:

ऐसा जाता है कि कुलधरा के निवासियों ने एक रात में अपना गाँव छोड़ दिया, और कभी लौटकर वापस नहीं आए। गाँव के निवासियों ने अपने घरों को छोड़ दिया, और अपने साथ केवल आवश्यक वस्तुएँ लेकर गए। गाँव के खाली घरों में अब केवल खंडहर और टूट-फूट के निशान ही देखने के लिए मिलते है। आजकल कुलधरा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जहाँ लोग इसके रहस्यमय और डरावने वातावरण का अनुभव करने के लिए आते हैं। गाँव के खंडहरों में अब केवल टूट-फूट के निशान बचे हैं, लेकिन इसके बावजूद यह गाँव अभी भी अपने ऐतिहासिक महत्व और रहस्यमय वातावरण के लिए भी पहचाना जाता है। कुलधरा का इतिहास बहुत रोचक और रहस्यमय है, और इसके बारे में अभी भी बहुत कुछ अज्ञात है। लेकिन इसके बावजूद यह गाँव अपने ऐतिहासिक महत्व और रहस्यमय वातावरण के लिए जाना जाता है, और यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बना हुआ है।

कुलधरा गांव जैसलमेर कैसे पहुंचें?: यदि आप जैसलमेर के रास्ते कुलधरा गांव की यात्रा के बारें में सोच रहे है, तो परिवहन के कई साधन हैं जिनका आप इस्तेमाल कर सकते हैं।

वायुमार्ग :

निकटतम घरेलू हवाई अड्डा जैसलमेर हवाई अड्डा है, जो गांव से लगभग 17 किमी की दूरी पर बसा हुआ है। जैसलमेर का हवाई अड्डा एक सिविल एन्क्लेव हवाई अड्डा है, जहाँ से केवल दिल्ली, जयपुर और जोधपुर के लिए उड़ानें हैं। इंटरनेशनल पैसेंजर के लिए, निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा है, जो लगभग 330 किमी दूर है।

रेलवे :

आप रेलवे के माध्यम से भी कुलधरा गांव तक पहुँच सकते हैं, क्योंकि जैसलमेर रेलवे स्टेशन सबसे नज़दीकी स्टेशन है, जो लगभग 34 किमी दूर है। स्टेशन पर उतरने के पश्चात, आप जैसलमेर में शीर्ष कार रेंटल कंपनियों से निजी टैक्सी लेकर गांव तक पहुँच सकते हैं।

सड़क मार्ग :

आप सड़क मार्ग का विकल्प भी चुन सकते हैं क्योंकि गांव सड़कों के नेटवर्क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। वर्ष के सही वक़्त में अपनी यात्रा की योजना बनाना सुनिश्चित करें, और गांव तक पहुंचने के लिए उपलब्ध विभिन्न परिवहन साधनों का लाभ उठा सकते है।

रिलेटेड टॉपिक्स