बॉलीवुड की मधुर आवाज़ों में से एक नाम जो न सिर्फ संगीत प्रेमियों के दिलों में बसता है, बल्कि दया और करुणा का प्रतीक भी बन चुका है और वह नाम है पलक मुच्छल। ‘कौन तुझे’, ‘मेरी आशिकी’, ‘प्रेम रतन धन पायो’ और ‘तेरा नाम’ जैसे सुपरहिट गानों से पलक ने करोड़ों लोगों का दिल जीता। लेकिन जो बात उन्हें सबसे खास बनाती है, वह है मानवता के लिए उनका योगदान। हाल ही में पलक का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। यह सम्मान उन्हें उनके गीतों के लिए नहीं, बल्कि हजारों बच्चों की ज़िंदगी बचाने के लिए मिला है।
एक रेल यात्रा जिसने बदल दी ज़िंदगी :
पलक मुच्छल का जन्म 30 मार्च 1992 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। बहुत छोटी उम्र से ही उन्होंने संगीत की दुनिया में कदम रख दिया था। लेकिन उनके जीवन की दिशा तब बदल गई जब एक बार ट्रेन यात्रा के दौरान उन्होंने कुछ गरीब बच्चों को फटे कपड़ों में भीख मांगते देखा। वह दृश्य उनके दिल में गहराई से उतर गया। उसी पल उन्होंने ठान लिया कि जब वे बड़ी होंगी, तो अपनी आवाज़ से जरूरतमंद बच्चों की मदद करेंगी। यही पल उनके जीवन का मोड़ साबित हुआ, इसके बाद ही उन्होंने तय कर लिया कि गायकी उनके लिए सिर्फ करियर नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम होगी।
“पलक-पलाश चैरिटेबल फाउंडेशन” एक सेवा का संकल्प :
संगीत जगत में अपनी पहचान बनाने के पश्चात पलक ने अपने छोटे भाई पलाश मुच्छल के साथ मिलकर “पलक पलाश चैरिटेबल फाउंडेशन” की स्थापना की। इस संस्था का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की हार्ट सर्जरी करवाना है। अब तक इस फाउंडेशन की मदद से 3,800 से अधिक बच्चों के दिलों में फिर से धड़कन लौट आई है। इनमें से अधिकांश बच्चे ऐसे परिवारों से थे जो महंगी सर्जरी का खर्च नहीं उठा सकते थे।पलक अपने म्यूज़िक कॉन्सर्ट्स, डोनेशन कैंप्स और पर्सनल सेविंग्स के जरिए फंड इकट्ठा करती हैं। उनके कॉन्सर्ट्स से मिलने वाली पूरी राशि इन बच्चों की सर्जरी पर खर्च की जाती है। यह सेवा अभियान अब केवल भारत तक सीमित नहीं रहा विदेशों में बसे भारतीय समुदाय भी उनके ट्रस्ट के माध्यम से सहयोग कर रहे हैं।
मानवता के नाम दर्ज हुआ रिकॉर्ड :
पलक मुच्छल के इस निस्वार्थ कार्य को दुनिया ने भी सलाम किया है। हाल ही में उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। यह सम्मान साबित करता है कि जब कला और करुणा एक साथ आती हैं, तो इंसान समाज के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन जाता है।इससे पहले भी पलक को कई सम्मान मिल चुके हैं, जैसे राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, ग्लोबल पीस अवॉर्ड, और कई राज्य सरकारों द्वारा विशेष सम्मान। लेकिन उनके अनुसार उनका सबसे बड़ा इनाम वह मुस्कान है जो किसी बच्चे के दिल की धड़कन लौटने पर उसके चेहरे पर आती है।
शहीदों और आपदाग्रस्त परिवारों के लिए भी योगदान :
पलक की सेवा केवल बच्चों तक सीमित नहीं रही है। उन्होंने कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों की आर्थिक सहायता की थी। 2001 के गुजरात भूकंप के दौरान उन्होंने 10 लाख रुपये का दान राहत कोष में दिया था। वह वर्षों से शिक्षा, चिकित्सा और महिला सशक्तिकरण से जुड़े कई एनजीओ के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं।उनका मानना है — “अगर मेरी आवाज़ से किसी का जीवन बच सकता है, तो वही मेरे संगीत का सबसे बड़ा उद्देश्य है।”
सोशल मीडिया पर पलक की प्रेरणा :
हाल ही में सोशल मीडिया पर पलक का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह अस्पताल में बच्चों के साथ खेलती और उन्हें हिम्मत देती दिखाई देती हैं। वीडियो में वह कहती हैं “मैं चाहती हूं कि हर बच्चा मुस्कुराए, क्योंकि मुस्कुराहट ही सबसे बड़ा संगीत है।” उनके इस मानवीय दृष्टिकोण ने लाखों युवाओं को समाज सेवा की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित किया है।
संगीत और सेवा का संगम :
पलक का मानना है कि संगीत और समाज सेवा दोनों में एक समानता है, दोनों दिल से निकलते हैं और दिलों को छूते हैं। जब वह मंच पर गाती हैं, तो उन्हें यह एहसास होता है कि हर सुर किसी न किसी की ज़िंदगी में उम्मीद की किरण बन सकता है।इस बारें में पलक कहती है कि “जब मैं गाती हूं, तो मुझे लगता है कि मेरी आवाज़ किसी के दिल की धड़कन बन सकती है। यही मेरी असली सफलता है।” पलक मुच्छल सिर्फ एक सफल गायिका नहीं, बल्कि मानवता की मिसाल हैं। इतना ही नहीं उन्होंने यह साबित कर दिया कि प्रसिद्धि का सही उपयोग वही है जो समाज की भलाई के काम आए। उनकी कहानी न सिर्फ संगीत प्रेमियों के लिए, बल्कि हर इंसान के लिए प्रेरणा है कि एक सच्चा दिल और नेक इरादा दुनिया बदल सकता है।