
एनसीईआरटी के सिलेबस बदलाव को लेकर चल रहे विवाद में अब AIMIM प्रमुख और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी एवं आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि जब भी ये सरकार में आते हैं, इतिहास को बदलने की कोशिश करते हैं। ओवैसी ने आरोप लगाया कि एनसीईआरटी की किताबों में विभाजन के बारे में गलत तथ्य पेश किए जाते हैं और इतिहास को छिपाकर अपनी विचारधारा थोपी जा रही है। उन्होंने कहा कि आजादी के समय 98 फीसदी मुस्लिम वोट नहीं डालते थे, और यह सच सामने आना चाहिए।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे RSS की तारीफ कर रहे हैं, जबकि आजादी की लड़ाई में RSS अंग्रेजों के साथ था। उन्होंने आरोप लगाया कि संघ परिवार देश में नफरत फैलाता है और हिंदुत्व की विचारधारा संविधान के खिलाफ है, जिसमें RSS की शपथ केवल एक समुदाय और धर्म पर केंद्रित है। ओवैसी ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जिक्र करते हुए कहा कि 1941 में वे बंगाल कैबिनेट में मंत्री थे, जिसका नेतृत्व फजलुल हक ने किया, जिन्होंने 1940 में मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में पाकिस्तान प्रस्ताव पेश किया था। ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी दार्शनिक रूप से BJP के खिलाफ थी और हमेशा रहेगी।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि RSS के कार्यालय पर तिरंगा कब फहराया गया? उन्होंने चीन और अमेरिका का जिक्र करते हुए कहा कि चीन से भारत को बड़ा खतरा है, जबकि अमेरिका के टैरिफ से भारत को आर्थिक नुकसान हो रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी बिहार में प्रचार कर रही है और वे वहां जाएंगे।