मुंबई: मालेगांव विस्फोट मामले में NIA कोर्ट के निर्णय पर उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना UBT ने टिप्पणी की है। उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना UBT ने इस बारें में कहा है कि कुछ नेताओं ने 'भगवा आतंकवाद' की संज्ञा दी थी लेकिन भगवा कभी आतंकवाद के साथ जुड़ा हुआ नहीं हो सकता। लेकिन दुर्भाग्य है कि कुछ लोग भगवा को आतंकवाद ही बोलते है। न्याय मांगने में वक़्त लग जाता है लेकिन न्याय अवश्य मिलता है।"
क्या है मालेगाव का पूरा मामला :
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में रमजान के माह में और नवरात्रि से ठीक पहले ही एक धमाका हुआ। इस धमाके में 6 लोगों की मौके पर ही जान चली गई थी एवं 100 से अधिक लोग इस वारदात में जख्मी हुए थे। एक दशक तक चले मुकदमे के बीच अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ भी की, जिनमें से 34 अपने बयान पूरी से बदल चुके है। शुरुआत में, इस केस की कार्रवाई महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने की थी। हालांकि, 2011 में NIA को जांच सौपी गई।
कोर्ट ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता- दुबे
अदालत के इस निर्णय पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हो चुका है। इतना ही नहीं शिवसेना UBT के प्रवक्ता आनंद दुबे इस बारें में कहा है कि कोर्ट का जो निर्णय है वह स्वागत योग्य है। 17 वर्ष के पश्चात ही सही सत्य तो मिला। सोचिए कि इन 7 अपराधियों के जीवन में 17 वर्ष किस तरह बीते होंगे? साथ ही साथ एक सवाल उठता है कि 17 वर्ष लग गए न्याय मांगने में? हम कोर्ट का सुक्रिया अदा करते है कि देर आए दुरुस्त आए। अदालत ने इस बारें में कहा है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।
जांच विभाग एवं पुलिस विभाग की घोर विफलता- अरविंद सावंत
खबरों का कहना है कि शिवसेना (UBT) के सांसद अरविंद सावंत ने इस बारें में कहा है कि, "कोर्ट ने बताया है कि सबूतों की कमी है। मुंबई रेल ब्लास्ट घटना, जिसमें लगभग 187 लोगों की मौत हुई और 800 से अधिक लोग जख्मी हुए, उसमें भी सभी आरोपियों को बरी किया गया था। दो प्रश्न खड़े होते हैं कि यदि वे गुनहगार नहीं थे तो उन्हें इतने वर्ष तक बंदी क्यों बनाए रखा? दूसरा क्यों हमारी पुलिस सबूत तक नहीं दे पा रही है? यह जो जांच चल रही है, उसे लेकर मुझे अधिक चिंता होती है। किसी ने तो इसे(मालेगांव ब्लास्ट) की वारदात को अंजाम दिया था। यह जांच विभाग और पुलिस विभाग की घोर विफलता है।"