
21वीं सदी की दुनिया डिजिटल युग में प्रवेश कर चुकी है। आज बैंकिंग, शॉपिंग, शिक्षा, मनोरंजन, सरकारी सेवाएं और यहां तक कि सामाजिक जीवन भी इंटरनेट पर निर्भर हो चुका है। लेकिन इस बढ़ती डिजिटल निर्भरता के साथ ही एक नया खतरा भी हमारे सामने आया है — साइबर अपराध और हमारी ऑनलाइन सुरक्षा (Cyber Security) की कमजोर होती दीवारें।
यह सवाल अब पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है : क्या हमारी डिजिटल सुरक्षा प्रणाली वास्तव में मजबूत है?
साइबर सिक्योरिटी का अर्थ है इंटरनेट, कंप्यूटर नेटवर्क, सॉफ्टवेयर और डेटा को अवैध पहुंच, हैकिंग, वायरस, फिशिंग और अन्य डिजिटल खतरों से सुरक्षित रखना। इसका उद्देश्य है किसी भी डिजिटल सिस्टम को भौतिक और आभासी हमलों से बचाना।
आज के डिजिटल परिदृश्य में बढ़ता खतरा : आज का युग डिजिटल युग कहलाता है, जहां हमारी लगभग हर गतिविधि — जैसे बैंकिंग, शॉपिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन और संवाद — इंटरनेट और तकनीक पर आधारित हो चुकी है। हालांकि यह डिजिटल परिवर्तन हमारे जीवन को आसान बनाता है, पर इसके साथ-साथ साइबर अपराध और डेटा लीक जैसे गंभीर खतरे भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जितनी तेजी से तकनीक आगे बढ़ रही है, उतनी ही तेज़ी से डिजिटल धोखाधड़ी, हैकिंग, रैंसमवेयर, और फिशिंग अटैक जैसी घटनाएँ भी बढ़ रही हैं।
बढ़ते खतरे की झलक : भारत में हर साल लाखों साइबर अपराध सामने आते हैं। 2023 में CERT-In (Computer Emergency Response Team-India) ने बताया कि देश में 14 लाख से ज्यादा साइबर घटनाएँ दर्ज की गईं। इनमें से अधिकांश फिशिंग, डेटा ब्रीच, बैंकिंग फ्रॉड और रैंसमवेयर अटैक से संबंधित थीं। इसके अतिरिक्त, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फेक प्रोफाइल, निजता का उल्लंघन और ऑनलाइन उत्पीड़न की घटनाएँ भी बहुत तेज़ी से बढ़ रही हैं।
अपराध का प्रकार | विवरण |
फिशिंग अटैक | नकली ईमेल या वेबसाइट के जरिए व्यक्तिगत जानकारी चुराना |
रैंसमवेयर | डिवाइस को लॉक कर फिरौती मांगना |
डेटा ब्रीच | बड़ी कंपनियों के डेटा को चुराना और बेच देना |
सोशल मीडिया फ्रॉड | फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर प्रोफाइल हैकिंग |
बैंकिंग फ्रॉड | यूपीआई/नेटबैंकिंग के जरिए वित्तीय धोखाधड़ी |
प्रमुख साइबर हमले (केस स्टडीज़)
1. Aadhaar डेटा लीक (2018) : भारत सरकार द्वारा लागू किया गया आधार (Aadhaar) कार्ड देश का सबसे बड़ा बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली वाला कार्यक्रम है, जिसमें नागरिकों की व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी जैसे नाम, जन्मतिथि, पता, मोबाइल नंबर, बायोमेट्रिक डेटा (फिंगरप्रिंट और रेटिना स्कैन) को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखा जाता है। लेकिन 2018 में एक ऐसी घटना हुई जिसने देश की डेटा सुरक्षा और निजता के प्रश्नों को कठघरे में खड़ा कर दिया।
क्या था Aadhaar डेटा लीक मामला? : जनवरी 2018 में एक अंग्रेज़ी अखबार The Tribune ने एक खुलासा रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें दावा किया गया था कि सिर्फ ₹500 के भुगतान पर कोई भी व्यक्ति UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) की वेबसाइट से किसी भी नागरिक की आधार डिटेल्स तक पहुंच प्राप्त कर सकता है। रिपोर्टर ने एक व्हाट्सएप ग्रुप से संपर्क कर ₹500 देकर लॉगिन आईडी खरीदी और उसके माध्यम से किसी भी आधार नंबर से संबंधित पूरी जानकारी जैसे नाम, पता, मोबाइल नंबर आदि तक पहुँच प्राप्त कर ली।
डेटा लीक का दायरा : इस लीक से करीब 1.1 अरब भारतीयों की पहचान संबंधी जानकारी प्रभावित होने की आशंका जताई गई। इसके अलावा कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया कि ₹300 और देने पर आधार कार्ड की डिजिटल प्रति (PDF) भी डाउनलोड की जा सकती थी।
प्रतिक्रिया और विवाद : UIDAI ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि यह "डेटा लीक" नहीं बल्कि अनधिकृत पहुंच (unauthorized access) का मामला है। The Tribune के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिससे प्रेस की स्वतंत्रता और जांच पत्रकारिता को लेकर बहस छिड़ गई। नागरिक समाज, डेटा प्राइवेसी एक्टिविस्ट और सुप्रीम कोर्ट में आधार की वैधता को लेकर भी विवाद और याचिकाएँ सामने आईं।
2. AIIMS Cyber Attack (2022) : 2022 में भारत के सबसे प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थान AIIMS (All India Institute of Medical Sciences), दिल्ली पर हुआ साइबर अटैक देश की डिजिटल सुरक्षा के लिए एक बड़ी चेतावनी साबित हुआ। यह हमला न केवल तकनीकी अव्यवस्था का प्रतीक था, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट हो गया कि देश की स्वास्थ्य सेवाएं भी अब साइबर हमलों की चपेट में आ चुकी हैं।
हमले की शुरुआत और प्रभाव : 23 नवंबर 2022 को AIIMS दिल्ली का सर्वर अचानक बंद हो गया। शुरुआती जानकारी के अनुसार यह एक तकनीकी खामी मानी गई, लेकिन जल्दी ही स्पष्ट हो गया कि यह एक संगठित रैंसमवेयर हमला था।
साइबर हमले के चलते :
3. रैंसमवेयर और फिरौती की मांग : इस साइबर हमले में रैंसमवेयर का उपयोग किया गया था — एक ऐसा मैलवेयर जो सिस्टम की सभी फाइलों को एन्क्रिप्ट कर देता है और फिर उन्हें अनलॉक करने के लिए फिरौती मांगी जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 200 करोड़ रुपये की फिरौती बिटकॉइन में मांगी गई थी। हालांकि सरकार ने कोई फिरौती नहीं दी और राष्ट्रीय एजेंसियाँ जांच में जुट गईं।
सावधानियां :
आज के डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा केवल आईटी विशेषज्ञों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर आम व्यक्ति की निजी जिम्मेदारी बन चुकी है। हम अपने रोज़मर्रा के जीवन में इंटरनेट, मोबाइल ऐप्स, ऑनलाइन बैंकिंग, सोशल मीडिया, ईमेल और क्लाउड सेवाओं का उपयोग करते हैं, लेकिन कई बार छोटी-छोटी लापरवाहियाँ हमारे डेटा और पैसों को खतरे में डाल सकती हैं।