क्या 'अशिक्षा' ही है कट्टरता और आतंकवाद बढ़ने का कारण ?

दुनिया में अक्सर कट्टरता और आतंकवाद बढ़ने के कारणों पर चर्चा चलती रहती है। कई बुद्धिजीवी इसे अशिक्षा से जोड़ते हैं, उनका कहना है कि शिक्षा का अभाव युवाओं को कट्टरपंथ की तरफ मोड़ रहा है। किन्तु जो तथ्य और सच्चाई सामने मौजूद है, वो इस तर्क से बिलकुल उल्ट है, क्योंकि आज भी कई ऐसे आतंकी मौजूद हैं, जो उच्च शिक्षित हैं, फिर भी बेगुनाहों के खून के प्यासे बने हुए हैं। आखिर इसका कारण क्या है ?

क्या 'अशिक्षा' ही है कट्टरता और आतंकवाद बढ़ने का कारण ?

Credit: Twitter/ यहूदियों को मारने की साजिश रचते ऑस्ट्रेलिया के मुस्लिम डॉक्टर्स

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Highlights

  • शिक्षा और आतंकवाद का संबंध।
  • ऑस्ट्रेलियाई डॉक्टर्स की यहूदी विरोधी मानसिकता।
  • इजराइल फिलिस्तीन युद्ध का असर।

मेलबर्न : ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में एक अस्पताल की दो नर्सों को निलंबित कर दिया गया है, क्योंकि उनके टिकटॉक वीडियो में यहूदी मरीजों के खिलाफ घृणित बयान सामने आए थे। इस वीडियो में नर्सों को यहूदी मरीजों की हत्या की धमकी देते हुए और उनका इलाज करने से इनकार करते हुए देखा गया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही पूरे ऑस्ट्रेलिया में गुस्से और आक्रोश की लहर दौड़ गई। न्यू साउथ वेल्स (NSW) के स्वास्थ्य अधिकारियों ने तुरंत दोनों नर्सों को निलंबित करने का आदेश दिया और पुलिस ने जांच शुरू कर दी।  

वायरल वीडियो में एक पुरुष और एक महिला नर्स को इजरायली मरीजों के खिलाफ नफरत भरी बातें करते हुए देखा गया।  एक नर्स ने कहा, "मैं यहूदी मरीजों का इलाज नहीं करूंगी, बल्कि उन्हें मार डालूंगी।" दूसरे व्यक्ति ने धमकी भरे अंदाज में कहा, "तुम्हारा अंत आ चुका है, तुम नरक में जाओगे।"  एक अन्य बयान में उन्होंने दावा किया कि वह कई इजरायली मरीजों को "जहन्नम" (नरक) भेज चुके हैं। इस घटना का वीडियो एक इजरायली नागरिक, टिकटॉक उपयोगकर्ता मैक्स वीफर ने साझा किया, जिसके बाद इस पर जबरदस्त प्रतिक्रिया आई और आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठी। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने इस वीडियो को लेकर संसद में बयान दिया और इसे "शर्मनाक और नफरत से भरा" करार दिया। उन्होंने कहा, ''मैंने यह यहूदी विरोधी वीडियो देखा है। यह पूरी तरह से घृणा से प्रेरित है और घिनौना है। ऐसी मानसिकता का हमारी सभ्यता में कोई स्थान नहीं है।"  

दरअसल, भारत में अक्सर कुछ बुद्धिजीवी और विपक्षी नेता यह तर्क देते हैं कि आतंकवाद और कट्टरता, अशिक्षा की वजह से फैलती है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया की इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि अगर अशिक्षा ही कट्टरता का कारण होती, तो ये डॉक्टर और नर्स पढ़े-लिखे होने के बावजूद ऐसी मानसिकता क्यों रखते? ओसामा बिन लादेन, सिविल इंजीनियर था, लेकिन फिर भी दुनिया के सबसे बड़े आतंकियों में से एक बना। बुरहान वानी, कश्मीरी आतंकवादी, जिसने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। याकूब मेमन चार्टर्ड अकाउंटेंट था, लेकिन 1993 मुंबई बम धमाकों का मास्टरमाइंड बना। अफजल गुरु, दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ा, लेकिन उसने भारतीय संसद पर हमला किया। ये सभी आतंकवादी शिक्षित थे, लेकिन फिर भी कट्टरता के शिकार हो गए। सवाल यह उठता है कि आखिर यह गलत शिक्षा उन्हें कहाँ से मिल रही है?

यह सिर्फ ऑस्ट्रेलिया की घटना नहीं है। 2019 में श्रीलंका के सबसे बड़े अखबारों में से एक में खबर छपी थी कि डॉ. सेगु शिहाबदीन मोहम्मद शफी नामक एक मुस्लिम डॉक्टर ने 4,000 से ज्यादा सिंहली बौद्ध महिलाओं की गोपनीय तरीके से नसबंदी कर दी थी। इस डॉक्टर का मानना था कि सिंहली बौद्ध जनसंख्या बढ़नी नहीं चाहिए। उसके खिलाफ कई महिलाएँ सामने आईं और गवाही दीं कि वह जानबूझकर ऑपरेशन के दौरान नसबंदी कर देता था। दो दिन बाद श्रीलंकाई पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। क्या यह मामला भी अशिक्षा का नतीजा था? नहीं, बल्कि यह मजहबी कट्टरता और एजेंडे का परिणाम था।  

दुनिया के पढ़े-लिखे आतंकी :

  • खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन ने जेद्दाह में किंग अब्दुल अज़ीज़ विश्वविद्यालय में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की थी। 
  • मुंबई बम ब्लास्ट के दोषी याक़ूब मेमन ने इंस्टीट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया से चार्टड अकाउंटेंट की पढ़ाई की थी। 
  • संसद पर हमला करने वाला आतंकी अफजल गुरु झेलम वैली मेडिकल कॉलेज का छात्र रह चुका था। 
  • भारतीय वायुसेना अफसरों की हत्या करने वाला कश्मीरी आतंकी यासीन मलिक भी एस पी कॉलेज श्रीनगर से ग्रेजुएट है। 
  • आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन की स्थापना करने वाला यासीन भटकल भी इंजीनयर था, उसने मुंबई, हैदराबाद और दिल्ली में बम धमाके भी किए थे। 
  • जैश ए मोहम्मद का आतंकी मसूद अज़हर  पुणे के विश्वकर्मा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुका है और मुंबई बम ब्लास्ट का मुख्य आरोपी है। 

ये तमाम तथ्य बताते हैं कि मुस्लिम युवाओं में कट्टरता बढ़ने का कारण अशिक्षा नहीं, बल्कि गलत शिक्षा है। भारत में भी मजहबी कट्टरता की घटनाएँ लगातार सामने आती रही हैं। उदयपुर में कन्हैयालाल और अमरावती में उमेश कोल्हे की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई, क्योंकि उन्होंने व्हाट्सऐप स्टेटस पर एक महिला के समर्थन में पोस्ट डाली थी, जिस पर ईशनिंदा का आरोप था। इनके मुस्लिम दोस्तों ने ही इनकी रेकी की थी और आतंकियों को इनकी जानकारी दी थी। क्या ये घटनाएँ भी अशिक्षा की वजह से हुई थीं? नहीं, बल्कि गलत शिक्षा और कट्टरता की वजह से।

यह तर्क अब पूरी तरह से गलत साबित हो चुका है कि अशिक्षा ही आतंकवाद की जड़ है। आतंकवाद और मजहबी कट्टरता की असली जड़ गलत शिक्षा और कट्टरपंथी विचारधारा है। यह समस्या सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, फ्रांस, जर्मनी और अन्य देशों तक फैल चुकी है। अब यह अंतर्राष्ट्रीय बहस का विषय बनना चाहिए कि ऐसी कट्टर मानसिकता लोगों के अंदर कहाँ से आ रही है? जब तक इस कट्टरता की जड़ तक नहीं जाया जाएगा, तब तक दुनिया आतंकवाद और मजहबी नफरत के दंश से पीड़ित रहेगी।

ऑस्ट्रेलिया की इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया कि आतंकवाद और मजहबी कट्टरता का अशिक्षा से कोई संबंध नहीं है। पढ़े-लिखे डॉक्टर यहूदी मरीजों को मारने की बात कर सकते हैं। उच्च शिक्षित आतंकी पूरी दुनिया में नरसंहार कर सकते हैं। अब सवाल सिर्फ यह नहीं है कि ऐसे लोग शिक्षित हैं या अशिक्षित। सवाल यह है कि यह कट्टरता इन लोगों तक पहुँच कैसे रही है? और इसे कैसे रोका जाए?  अगर दुनिया ने इस पर जल्द ही कोई सख्त कदम नहीं उठाया, तो आने वाले समय में यह कट्टरता और विकराल रूप ले सकती है।

 

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