अहसानफरामोशी का दूसरा नाम - तुर्की

साँप को कितना भी दूध पिलाओ, वो डंसना नहीं छोड़ता. बांग्लादेश के बाद भारत को तुर्की ने भी ये कहावत याद दिलाई है. ये वही तुर्की है, जो कुछ दिनों पहले भारत को लेकर कह रहा था कि हमारे लिए तो ऊपर अल्लाह है और नीचे आप हो. किन्तु जब सत्य का साथ देने की बारी आई, तो अपने आप को इस्लाम का सबसे बड़ा झंडाबरदार समझने वाले तुर्की ने सत्य और न्याय के स्थान पर मजहबी कट्टरता को चुना, या स्पष्ट शब्दों में कहें तो आतंकवाद को चुना.

अहसानफरामोशी का दूसरा नाम - तुर्की

भारत में तेज हुई तुर्की के बहिष्कार की मांग

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Highlights

  • तुर्की की अहसानफरामोशी।
  • पहलगाम हमले पर पाकिस्तान के साथ तुर्की।
  • ऑपरेशन दोस्त के बदले तुर्की ने दिया धोखा।

पाकिस्तान एक आतंकी देश है, इसमें कोई दो राय नहीं है, पूरी दुनिया इसके कई सबूत देख चुकी है. पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ के बाद बिलावल भुट्टो भी ये कबूल कर चुके हैँ कि 1947 में भारत से अलग होकर इस्लामी देश बना पाकिस्तान बीते 30 सालों से आतंकी पैदा करने और उन्हें पालने का काम कर रहा है. किन्तु, इसके बावजूद यदि तुर्की केवल मजहब के आधार पर आतंकवाद को पालने वाले पाकिस्तान का साथ देता है तो इससे उसकी नैतिक विचारधारा का स्पष्ट पता चलता है. जबकि भारत मानवता को सबसे ऊपर रखता है. वह भारत ही था जिसने भूकंप से बुरी तरह कराहते तुर्की को सबसे पहले मदद पहुंचाई थी बिना यह देखें कि तुर्की हर बार वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान के समर्थन में खड़ा रहता है और कश्मीर मुद्दे पर भारत का विरोध करता रहता है.

जब विनाशकारी भूकंप से दहल गया था तुर्की :

6 फ़रवरी 2023 को सीरिया और तुर्की की सीमा पर 7.8 की तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया था, जिसने तुर्की में भीषण तबाही मचाई थी. 7.8 तीव्रता वाला यह भूकंप 1939 में आए इसी परिमाण के एर्ज़िनकन भूकंप के बाद तुर्की में आया सबसे बड़ा भूकंप था. 1668 के उत्तरी अनातोलिया भूकंप के बड़े अनुमानों के बाद यह देश में संयुक्त रूप से दूसरा सबसे बड़ा भूकंप था. इस भूकंप से तुर्की के लगभग 14 मिलियन लोग बुरी तरह प्रभावित हुए थे। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने अनुमान लगाया था कि लगभग 1.5 मिलियन लोग बेघर हो गए. तुर्की सरकार ने  50 हज़ार से अधिक लोगों की मौत की आधिकारिक पुष्टि की थी, जबकि वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता था. तुर्की में नुकसान का अनुमान 148.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर या देश के सकल घरेलू उत्पाद का नौ प्रतिशत लगाया गया था.

ऑपरेशन दोस्त : सबसे पहले मदद को आगे आया भारत

भूकंप की सूचना मिलते ही भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तुर्की के साथ अपना दुख और एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा, तुर्की में आए भूकंप से जनहानि और संपत्ति के नुकसान से व्यथित हूं. शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना. घायल जल्द स्वस्थ हों. भारत तुर्की के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है और इस त्रासदी से निपटने के लिए हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है.

इसके कुछ ही घंटों में पीएम मोदी के निर्देश पर उनके प्रधान सचिव पी. के. मिश्रा ने सचिवालय भवन के साउथ ब्लॉक में यह निर्धारित करने के लिए एक बैठक की थी कि तुर्की को तत्काल राहत देने के लिए क्या उपाय पेश किए जाएं. इस बैठक में कैबिनेट सचिव, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), और गृह मामलों, रक्षा, विदेश मामलों, नागरिक उड्डयन, और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल थे.

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी तुर्की के दूत फिरत सुनेल के साथ बैठक की और  राहत कार्यों तथा मानवीय प्रयासों के बारे में जानकारी ली. इधर भारत के सुरक्षाबल और डॉक्टर्स की टीम राहत सामग्री लेकर तुर्की पहुँच चुके थे. तुर्की के राजदूत फ़िरात सुनेल ने भारत को सहायता और समर्थन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा था, " Dost kara günde belli olur " (ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही दोस्त होता है). भारत का बहुत-बहुत धन्यवाद. तुर्की के दूत फ़िरात सुनेल ने कहा था कि भारत भूकंप प्रभावित तुर्की की मदद करने वाले पहले देशों में से एक था. यही नहीं, तुर्की के अख़बारों में भी भारत की भूरी भूरी प्रशंसा छपी थी.

भारत ने सीरिया और तुर्की दोनों को लगभग 7 करोड़ मूल्य (845,590 USD) की राहत सामग्री भेजी थी. आपदा आने के 12 घंटे के भीतर भारतीय सेना ने राहत सामग्री के साथ अपने बचाव दलों को प्रभावित देशों में रवाना कर दिया था. भारत ने 6 फरवरी 2023 की शाम तुर्की के प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्यों के लिए तुरंत एनडीआरएफ के दस्ते भेजे भारतीय वायु सेना ने एनडीआरएफ के 47 कर्मियों, 3 वरिष्ठ अधिकारियों और एक विशेष रूप से प्रशिक्षित डॉग स्क्वायड के साथ अदाना को एक सी-17 भेजा. जिसमें सहायक कर्मचारी आवश्यक उपकरण, चिकित्सा आपूर्ति, ड्रिलिंग मशीन और सहायता प्रयासों के लिए आवश्यक अन्य उपकरण शामिल थे. 

यही नहीं, भारत ने मलबे के नीचे फंसे लोगों की पहचान करने के लिए गरुड़ एयरोस्पेस के द्रोणी ड्रोन प्रदान किए, साथ ही दवा, भोजन और आपूर्ति ले जाने वाले संशोधित किसान ड्रोन भी भेजे. एनडीआरएफ की टीमों के पास चिप और पत्थर काटने के उपकरण थे, जो पीड़ितों को मुक्त करने के लिए कंक्रीट स्लैब और अन्य निर्माण सामग्री के साथ-साथ दिल की धड़कन का पता लगाने के लिए रडार का भी काम करते थे. 9 फरवरी 2023 तक भारत ने कुल छह सी-17 विमान भेजे थे, जिनमे राहत सामग्री, एक मोबाइल अस्पताल और अतिरिक्त विशेष खोज और बचाव दल शामिल थे. इसके अलावा एनडीआरएफ कर्मियों के साथ, आगरा स्थित आर्मी फील्ड अस्पताल ने 89 चिकित्सा कर्मचारियों को भेजा गया था. मेडिकल टीम में 30 बिस्तरों वाली चिकित्सा सुविधा स्थापित करने के लिए एक्स-रे मशीन, वेंटिलेटर, एक ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट, कार्डियक मॉनिटर और संबंधित उपकरणों तक पहुंच के साथ क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ और अन्य चिकित्सक भी तुर्की कि मदद को भेजे गए थे. करीब 15 दिनों तक तुर्की कि मदद करने के बाद 20 फ़रवरी को भारतीय दल स्वदेश लौटा था.

भारत के एक सैन्य अधिकारी ने बताया था कि जब वह लौट रहे थे तो तुर्की के लोग नम आंखों से उन्हें विदाई दे रहे थे और उन्हें धन्यवाद दे रहे थे. एक महिला ने तो रोते हुए यहां तक कह दिया कि 'हमारे लिए पहले अल्लाह है और दूसरे आप ही हो.'

तुर्की की गद्दारी और बहिष्कार की मांग :

 लेकिन आज इस तुर्की ने जब एहसान फरामोशी दिखाई है तो हर भारतीय का दिल दुखा है और उसका परिणाम तुर्की के बहिष्कार के रूप में सामने आ रहा है. सोशल मीडिया पर लोग तुर्किये के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं और #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है. इससे पहले भारत सरकार ने तुर्की के सरकारी मीडिया चैनल TRT World के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक कर दिया था. 

उद्योगपति हर्ष गोयनका ने कुछ आंकड़े देते हुए तुर्की का बहिष्कार करने की मांग की थी और कहा था कि, पिछले साल भारतीयों ने पर्यटन के जरिए तुर्किये और अजरबैजन को 4,000 करोड़ रुपए दिए. इससे नौकरियां पैदा हुईं. उनकी अर्थव्यवस्था, होटल, शादियां, उड़ानें बढ़ीं. आज, पहलगाम हमले के बाद दोनों पाकिस्तान के साथ खड़े हैं. भारत और दुनिया में बहुत सी खूबसूरत जगहें हैं. कृपया इन दो जगहों पर न जाएं, जय हिंद.' इसके अलावा भारत के कई अन्य नागरिकों ने भी अपनी तुर्की कि यात्रा रद्द कर दी है और कई व्यापारियों ने पाकिस्तान समर्थक देश से सम्बन्ध तोड़ लिए हैँ. जो ये साफ दर्शाता है कि आज का भारत मदद करने में किसी से पीछे नहीं रहता, लेकिन जब बात उसके नागरिकों की आती है, तो पूरा देश एकजुट होकर तिरंगे के नीचे खड़ा होता है और दुश्मन के खिलाफ एक सुर में हुंकार भरता है.

 

 

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